प्रबंधक की लेखनी से

(डॉ. यू.पी. सिंह)

19वीं शताब्दी के भारतीय पुनर्जागरण काल के दैदीप्यमान नक्षत्र एवं सम्पूर्ण विश्व में भारतीय दर्शन एवं संस्कृति की मूल आत्मा- अध्यात्मवाद की श्रेष्ठता की स्थापना द्वारा भारतीयों में आत्मविश्वास और आत्मगौरव की भावना का प्रबल संचार कर उनमें राष्ट्र प्रेम तथा राष्ट्रभक्ति की अजस्त्र धारा प्रवाहित करने वाले स्वामी विवेकानन्द चरित्र-निर्माण, मानसिक, बौद्धिक एवं आत्मिक शक्ति का विकास, आत्मनिर्भर मनुष्य का निर्माण ही शिक्षा का मूल उददेश्य मानते थे | स्वामी जी के जीवन, विचार-दर्शन और आदर्शो से निरंतर प्रभावित तथा अनुप्राणित होने एवं एक लम्बे अर्से से शिक्षा-जगत से जुड़ाव ने हम लोगो के शिक्षा के प्रचार-प्रसार द्वारा राष्ट्र निर्माण की दिशा में नई पीढ़ी को शिक्षित करने के लिए कृत संकल्पित किया शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े पूर्वी उत्तर प्रदेश के हृदयस्थल गोरखपुर परिक्षेत्र की समकालीन एवं भावी पीढ़ियों को शिक्षित कर स्वामी जी के आदर्शो को अपना सकने के योग्य बनाने के लिए हम लोगो ने स्वामी विवेकानन्द शिक्षण न्यास द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में सुनियोजित लम्बी यात्रा की दिशा में किये जाने वाले प्रयास का प्रथम प्रतिफल है, गोरखपुर-गोला वाया माल्हनपार मार्ग पर जिला मुख्यालय से लगभग 48 किमी. दूर दक्षिणांचल में स्वामी विवेकनन्द स्मारक महाविघालय, ......... , केशवपार गोरखपुर की स्थापना | यह महाविघालय उच्च शिक्षा को छात्रों के भौतिक तथा आत्मिक उन्नति का साधन बनाकर उनके व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास करने के एक उत्कृष्ट शैक्षणिक केन्द्र की रूप में स्थापित की गयी संस्था है | उच्च शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण बनाने के साथ-साथ छात्र-छात्राओं के बहुआयामी व्यक्तित्व का निर्माण करने, उनमें समाज एवं राष्ट्र के निर्माण की उत्कृष्ट भावना भरने तथा समग्रता में सामाजिक सरोकारों के प्रति संवेदनशील बनाने के साथ-2 उन्हें समकालीन प्रतिस्पर्धात्मक युग में मानवीय मूल्यों के आलोक में अपनी विशिष्ट पहचान एवं स्थान बना सकने में सक्षम एवं समर्थवान बनाने के लिए ही इस महाविघालय की स्थापना की गयी है | यंहा का वातावरण छात्र-छात्राओं को ज्ञान तथा सद्गुणों से सम्पन्न करने के साथ ही उन्हें सच्चरित्र, सत्यनिष्ठ, कर्तव्यनिष्ठ, सरल एवं सहज बनाने के सर्वथा अनुकूल हैं, यंहा वे एक श्रेष्ठ नागरिक बनकर नि:स्वार्थ भाव से समाज तथा राष्ट्र की सेवा कर सकेंगे | याघपि छात्र-छात्राओं की अकादमिक उत्कृष्टता हमारा प्राथमिक लक्ष्य है फिर भी महाविघालय विविध पाठ्य-सह एवं पाठ्येतर गतिविधियों तथा कार्यक्रमों (Co-cular and extra curicular activities and programme) के माध्यम से उनमे सामाजिक दायित्वबोध तथा नेतृत्व के गुणों का विकास करने हेतु सतत प्रयत्नशील है |